दोस्तों जब कोई हमारा दिल तोड़ देता है, धोखा देता है तो हमें उससे बहुत नफ़रत हो जाती है कि वो इंसान हमारी ज़िन्दगी में आया ही क्यों ? अगर आप अपने दिल के जज़्बात ज़ाहिर करने के लिए Nafrat Shayari गूगल पर ढूंढ रहे हैं तो आप सही वेबसाइट पर आये हैं.
इस वेबसाइट में आपको हिंदी में नफरत शायरी का कलेक्शन मिलेगा जिन्हें आप अपने सोशल एकाउंट्स Facebook, Whatsapp, Instagram आदि पर शेयर कर सकते हैं.
Nafrat Shayari In Hindi
चाह कर भी मुंह फेर नहीं पा रहे हो
नफरत करते हो या इश्क़ निभा रहे हो
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की
पुराने तो अब मुझे चाहने लगे है
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे
नफरतें इश्क़ भी बड़ी की होती है उनसे
उनसे नफरत दिखता है और
दिल ही दिल में प्यार करता है उनसे
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है
नफरत शायरी फॉर Girlfriend
खुदा सलामत रखना उन्हें
जो हमसे नफरत करते हैं
प्यार न सही नफरत ही सही
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं
बैठ कर सोचते हैं अब
कि क्या खोया क्या पाया
उनकी नफरत ने तोड़े बहुत
मेरी वफ़ा के घर
नफरत चांद की सितारों से हो तो
वो अपनी चांदनी रोशनी कम कर देता है
हम चांद तो नहीं पर
अपनी सांसे हम भी कम कर सकते हैं
हक़ देंगे पूरा उसे निभाने का
कबूल करते हैं नफरत तेरी
खैरात में जो मिले हमें
कबूल तो उसकी मोहब्बत भी नहीं करते हम
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया हैं
प्यार से ही नफरत खत्म होता हैं
तूने ही तो समझाया हैं
मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती हैं
अगर नफरत होती हैं तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती हैं
नफरत हो दिल में तो मिलने का मजा नहीं आता है
वो आज भी मिलता हैं पर दिल कही और छोड़ आता हैं
दिल पर ना मेरे यू वार कीजिए
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम
कभी खुद को भी उस कदर बेक़रार कीजिए
मेरे दिल ने उस पर यकीन किया था
नफरत क्यों करुँ अगर उसने दिल तोड़ दिया
मैं फना हो गया अफसोस वो बदला भी नहीं
मेरी चाहतें से भी सच्ची रही नफरत उसकी
ज़िन्दगी से नफरत किसे होती हैं
मरने कि चाहत किसे होती हैं
प्यार भी एक इतेफा़क होता हैं
वरना आँसूओ से मोहब्बत किसे होती हैं
नफरत शायरी फॉर Girlfriend
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने
सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते
नफरतों के बाजार में प्यार बेचते है
और कीमत में बस दुआ लेते है
जिन्दगी भर तुझ से मिलने की दुआ की
सोचा ना था ऐसा भी दिन आएगा
मुझे ऐसा भी दुआ करनी पड़ेगी
अये खुदा उसे दिल से निकाल दे,
यही तो राज़-ए-उल्फ़त है
जो हर आंसू का रुख़ मोड़ा…
बहुत ख़ुश हैं
तेरे बारे में जबसे सोचना छोड़ा….💔
भुलाना ही था मुझको तो नफरत का सहारा क्यूँ
डूबने देते मुझको यूँ ही दिखाया था किनारा क्यूँ
थी नफरत अक्स से वो आईना तोड़ना सिख गया
वो अपनी गलती पर भी मुँह मोड़ना सिख गया
कोई तो वजह होगी बेवजह को नफरत नहीं करता
हम तो उनकी दिल कि समझते हैं
वो हमे समझने की कोशिश नहीं करता
फूलो के साथ काटें भी मिल जाते हैं
खुशी के साथ गम भी मिल जाते हैं
यह तो मजबूरी हैं हर आशिक़ कि
वरना प्यार में नफरत कोई जान बुझ कर नहीं करता
वो इंकार करते हैं इकरार के लिए
नफरत करते हैं तो प्यारा के लिए
उलटी चाल चलते हैं ये इश्क़ वाले
आँखें बंद करते हैं दीदार के लिए
नफरत हो तो यकीन नहीं दिलाना पड़ता हैं
मोहब्बत में ही सबूत कि जरुरत पड़ती हैं
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब
ज़िन्दगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले
नफरत को मुहब्बत की आँखो में देखा
बेरुखी को उनकी अदाओ में देखा
आँखें नम हुए और मै रो पड़ा
जब अपने को गैरों कि बाहो में देखा
खुद से नफरत शायरी
इश्क़ में वफ़ा का गुरूर जब टूटता है
तब सबसे ज्यादा नफरत खुद से ही होती है
मेरे दिल ने उस पर यकीन किया था,
नफरत क्यों करूँ अगर उसे दिल तोड़ दिया
बैठ कर सोचते है अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े बहुत… मेरी वफ़ा के घर.
गुजरे हैं, तेरे इश्क में कुछ इस मुकाम से,
नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से
तुझसे खफा भी रहते थे और वफा भी करते थे
पहले तुझे खोना नहीं चाहते थे अब तुझे पाना नहीं चाहते हैं
Beintehaa Nafrat Shayari
मुझे पूरा समझने की चाह में
लोग बीच में नफरत करने लगते हैं
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं
जब हम मुस्कुराते थे तो
उदासियाँ भी कहती थी माशा अल्लाह
तेरे प्यार में खुद को इतना बदल दिया
अब दुनिया कहती है तोबा अल्लाह
हमने तो लोगों को सच्चा प्यार भी भूलते देखा है
मुझसे तेरा झुटा प्यार भी नहीं भुलाया जाता
दर्द बांटते बांटते ना जाने कब दर्द देने लगे
इश्क था हमें ना जाने कब नफरत देने लगे
Zindagi Se Nafrat Shayari
पाले रहें वो नफरते हम इश्क़ निभाते रहे
जिंदगी भी ये कट गई खाली ही हाथ
तुम अमीर बनो
मैं तो तुमसे प्यार करके कब का रईस बन चुका
नाही तुम कभी आ सके और
नाही हम कभी जा सके
नाही तुम कभी याद कर सके और
नाही हम तुम्हे कभी भुला सके
कभी बैठेंगे फुरसत में खुदा के सामने और पूछेंगे
वो कौन सी मोहब्बत थी
जो हम अपने यार को दे ना सके
ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़
यह तो बता ये मज़ा-ए-इश्क़ है या सजा़-ए-इश्क़
Nafrat Shayari DP
ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरत
अपना-अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये
अगर तुम थे सनम बेवफा तो आंखे मिलाई ही क्यूं थी
छोड़ के जाना ही था तो अपनी आदत लगाई ही क्यूं थी
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं
हम वो ना थे
जो टाइम पास के लिए तुम्हे याद करते थे
हम तो अपने बीजी टाइम से भी
वक़्त उधार लेकर तुम्हे याद करते थे
दिल अगर सूरत ही देख के लगाना था तो
पहले बता देते, क्यूट तो कुत्ते भी बहोत होते हैं
अपनों से नफरत शायरी
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है
काश तुम रहते मेरे साथ
जब तक हम दोनों की जिंदगी थी
मेरे हालात क्या बदले
तुम्हे भी वक़्त ना लगा बदलने में
बस तेरे एक जिद ने मुझे क्या से क्या करदिया
दिल की किताब तो बस तेरे लिए थी
तूने इसे सरे आम कर दिया
इश्क़ करे या नफरत इजाज़त है उन्हें
हमे इश्क़ से अपने कोई शिकायत नहीं
यकीन नहीं दिलाना पड़ता दुनिया को नफरत का
पर सबूत देना पड़ता है मोहब्बत का
बेवफा नफरत शायरी
नफरतों के लिए यहाँ वजह ढूंढी जाती है
बिना किसी वजह सिर्फ मोहब्बत होती है
दुनिया को नफरत का यकीन नहीं दिलाना पङता
मगर लोग मोहब्बत का सबूत ज़रूर मागते हैं
दरारे रास नहीं आती मुझको रिश्ते नातों की पहाड़ी मे
ये एक दिन फैल जाती है झुलसती हुई नफरत की खाई में
अगर रूठा रहूँ तो मनाने आ जाना
वो आखिरी वादा निभाने आ जाना
इस जिंदगी में मेरी न हो सकी फिर भी
मेरी मौत पर ‘मय्यत’ सजाने आ जाना
है खबर अच्छी के आजा मुँह तेरा मीठा करें
नफरतें तेरी हुई है बा-खुशी दिल को कबूल
Nafrat Shayari SMS
पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत
बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको
नफरत के बाजार में जिने का अलग ही मजा हैं
लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हँसना नहीं छोड़ते
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको
ज़िन्दगी इतना बता कितना सफर बाकी है
ज़िन्दगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं
मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है
कभी नफरत तो कभी दिलो का मेल है
बिक जाता हैं हर रिश्ता दुनियां में
सिर्फ दोस्ती का यहा नाँट पर सेल हैं
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा
और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा
ज़िन्दगी भी तवायफ की तरह होती है
कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको
ज़िन्दगी इतना बता कितना सफर बाकी है
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा
और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा
कुछ लोग हमारी नफरत के काबिल भी ना होते
और हम उन पर अपनी मोहब्बत जाया कर देते हैं
ज़िन्दगी जिसका बड़ा नाम सुना है हमने
एक कमजोर सी हिचकी के सिवा कुछ भी नहीं
तरक्की के दौर में नफरत लिये फिरते हैं
जब अंहकार टुटता तो दर दर भटकते है
तेरी नफरत में वो तो दम कहाँ
जो मेरी चाहत को कम करे
मुझसे नफरत करनी है तो इरादे मजबूत रखना
वरना जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जाएगी
इश्क़ में वफा का ग़ुरूर जब टूटता हैं
तब सबसे ज्यादा नफरत खुद से ही होती हैं
गुजरे हैं तेरे इश्क़ में कुछ इस मुकाम से
नफरत सी हो गई हैं मोहब्बत के नाम से
इतनी नफरत हैं उसे मेरी मोहब्बत से
उसने अपने हाथ जला लिए
मेरी तकदीर मिटाने के लिए
एक झूठ मैने तुमसे कहाँ मुझे नफरत हैं तुमसे
एक झूठ तुम भी कह दो तुम्हें मोहब्बत हैं मुझसे
किसी के लिए तो नफरत से भर दे
भर गया उसका दिल मोहब्बत से
कोई गुस्सा हो तुम्हारी भलाई के लिए
समझ लेना उसके दिल में प्यार बहुत हैं तुम्हारे लिए
इश्क़ या खुदा को दिल मे बसा लो
दिल से नफरत हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी
नफरत अक्सर वहीं करते हैं
जो कुछ ज्यादा ही फुरसत में होते हैं
दिल में अगर पली बेजान कोई हसरत ना होती
हम इंसानों को इंसानों से यू नफरत ना होती
जिसकी अंहकार पुरखो कि कमाई पर पले हैं
आज वो हमसे नफरत कि लड़ाई जितने चले हैं
झूठी नफरत को जताना छोड़ दे
भिगों के खत मेरा जलाना छोड़ दे
उसकी नफरतो को धार किसने दी
मोहब्बत के हाथों तलवार किसने दी
कुछ लोग तो मुझसे इसलिए भी नफरत करते हैं
क्यूंकि बोहत सारे लोग मुझसे प्यार करते हैं
अगर इंसान खुशी चाहते हैं
तो फिर क्यों दिल में नफरत पालते हैं
यकीन भी रखा सबर भी किया
इंतज़ार के सब हद भी पार किया
नाही तो वक़्त बदला और
नहीं खुशियां नसीब हुई
ऐ दोस्तों नफरतो को पाल कर उससे चिनगारी मत लगाओ
खुदा ने तुमको क्या नहीं दिया कुछ अपना भी दिमाग लगाओ
नफरत से होने लगी है इस सफर से अब
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे खत्म होने से पहले
जो लोग नफरत करते हैं वो लोग अच्छे लगते हैं
क्योंकि अगर सब मुहब्बत करेंगे तो
कहीं नज़र ना लग जाए मुझे
अब हम तो नये नफरत करने वाले तालाश करते हैं
कयोंकि पुराने वाले तो अब हमसे मुहब्बत किया करते हैं
सितम जुदाई का हंस कर सहेंगे
तेरे बिना हम बोहोत खुश रहेंगे।
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अंतिम शब्द
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